*मै दीया हूँ, मेरी दुश्मनी तो*
*सिर्फ़ अंधेरे से है,*
*हवा तो बेवजह ही मेरे*
*ख़िलाफ़ है!*
*हवा से कह दो कि खुद को*
*आज़मा के दिखाए,*
*बहुत चिराग बुझाती है,*
*एक दीया जला के दिखाए !!*
*🙏शुप्रभात🙏*
*मै दीया हूँ, मेरी दुश्मनी तो*
*सिर्फ़ अंधेरे से है,*
*हवा तो बेवजह ही मेरे*
*ख़िलाफ़ है!*
*हवा से कह दो कि खुद को*
*आज़मा के दिखाए,*
*बहुत चिराग बुझाती है,*
*एक दीया जला के दिखाए !!*
*🙏शुप्रभात🙏*